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13 Aug 2018 · 1 min read

मुक्तक

कभी जब तोड़ा था मैने , उस बुनियाद का पत्थर ,
उठना दीवार का तब से , वहाँ दुश्वार होता है,
जो आँखों से निकले , सज़ा के आँसू थे उस दिन ,
है बीता वक़्त पर ये , दर्द अब भी बेशुमार होता है ।

Language: Hindi
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