Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Nov 2023 · 1 min read

रावण का परामर्श

रावण का परामर्श

दशहरे के दिन जब दहन हेतु मैं पहुंचा रावण के पुतले के पास,
मेरे कानो में गूंजा रावण का गर्वीला उपहास भरा मौन अट्टहास।

बोला,” आपआज प्रसन्न हो सकते हो मुझे जलाकर मित्र,
पर अपनी कल्पना में मिटा दो मेरे अंत होने का चित्र।

मानव हमेशा ढूंढ़ता है बाहर दूसरों में मेरा निवास,
पर भूल जाता है कि हर इंसान के अंदर है मेरा वास।

कुछ में सदा सुप्त रहता हूँ मैं और कुछ में जागृत हो जाता हूँ,
और फिर दुनिया को अपनी कलाकारी का शौर्य दर्शाता हूँ।

मेरे सच्चे अनुयायियों की है आज सारे संसार में बहुत भरमार,
मिलेंगे वे हर क्षेत्र में -राजनीति,धर्म, सरकारी-सेवा या हो व्यापार।

देख कर उनके कारनामें, मैं घोर हीन -भावना से घिर जाता हूँ,
क्योंकि उनकी महानता के समक्ष स्वयं को बहुत छोटा पाता हूँ।

मुझे न्यायसंगत नहीं लगता जो इतना बड़ा हो गया मेरा नाम,
आज के सन्दर्भ में तो बहुत छोटा है जो मैंने किया था काम।

अगर सच में मेरा उन्मूलन चाहते हो तो अपने अंदर झांको,
दूसरों में मुझे खोज कर मिटाने हेतु व्यर्थ में मत धूल फांको। ‘’

डॉ हरविंदर सिंह बक्शी
30 -10 -2023

Language: Hindi
1 Like · 192 Views

You may also like these posts

🌹थम जा जिन्दगी🌹
🌹थम जा जिन्दगी🌹
Dr .Shweta sood 'Madhu'
अपने मन की बात
अपने मन की बात
RAMESH SHARMA
राम कृपा (घनाक्षरी छंद)
राम कृपा (घनाक्षरी छंद)
guru saxena
ये दुनिया गोल है
ये दुनिया गोल है
Megha saroj
क्या कहूँ
क्या कहूँ
Ajay Mishra
बड़ा मज़ा आता है,
बड़ा मज़ा आता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"विचारों की उड़ान" (Flight of Thoughts):
Dhananjay Kumar
Happy New year to all my dear friends 🌹💖
Happy New year to all my dear friends 🌹💖
Neelofar Khan
कितना अजीब ये किशोरावस्था
कितना अजीब ये किशोरावस्था
Pramila sultan
मजबूरी
मजबूरी
P S Dhami
वो बदल रहे हैं।
वो बदल रहे हैं।
Taj Mohammad
"सत्य अमर है"
Ekta chitrangini
मुझे इश्क है तुझसे ये किसी से छुपा नहीं
मुझे इश्क है तुझसे ये किसी से छुपा नहीं
Jyoti Roshni
श्री राम एक मंत्र है श्री राम आज श्लोक हैं
श्री राम एक मंत्र है श्री राम आज श्लोक हैं
Shankar N aanjna
लोग समझते थे यही
लोग समझते थे यही
VINOD CHAUHAN
माँ तुम्हारी गोद में।
माँ तुम्हारी गोद में।
अनुराग दीक्षित
पथप्रदर्शक
पथप्रदर्शक
Sanjay ' शून्य'
अपने तो अपने होते हैं
अपने तो अपने होते हैं
Harminder Kaur
🙅एक ही राय🙅
🙅एक ही राय🙅
*प्रणय*
दोहा पंचक. . . . . कल
दोहा पंचक. . . . . कल
sushil sarna
*भेदा जिसने है चक्रव्यूह, वह ही अभिमन्यु कहाता है (राधेश्याम
*भेदा जिसने है चक्रव्यूह, वह ही अभिमन्यु कहाता है (राधेश्याम
Ravi Prakash
गुलाबों का सौन्दर्य
गुलाबों का सौन्दर्य
Ritu Asooja
वटसावित्री
वटसावित्री
Rambali Mishra
क्या हैं पैसा ?
क्या हैं पैसा ?
Abasaheb Sarjerao Mhaske
सितमज़रीफ़ी
सितमज़रीफ़ी
Atul "Krishn"
4398.*पूर्णिका*
4398.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
लेखनी
लेखनी
Dr. Kishan tandon kranti
उठो द्रोपदी....!!!
उठो द्रोपदी....!!!
Neelam Sharma
हिंदी साहित्य की नई : सजल
हिंदी साहित्य की नई : सजल
Sushila joshi
Loading...