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21 May 2024 · 1 min read

हिंदी साहित्य की नई : सजल

समान्त —-इलते
पदान्त —– रहेंगे
मात्रा भार —-19

यूँ ही अगर आप मिलते रहेंगे।
फूल खुशियों के खिलते रहेंगे।l

सागर की उर्मि नाचेंगी छमछम l
शंख अरु मोती फिसलते रहेंगे।l

लहरेगी सरिता पाँव में तेरे l
तूफाँ आँधी भी झिलते रहेंगे।l

मादक पवन जब चलेगा मदिर हो l
बैठें शिला हम पिघलते रहेंगे।l

दिलों में समाएँ हम एक दूसरे के l
पुष्पों की वल्लरी से खिलते रहेंगे।l

खुली वादियों में तुम इठलाओगे जब l
धरा और गगन दोनों हिलते रहेंगे।l

उखड़ती सांसो में बस तू ही तू है l
अपनी धडकन हम सिलते रहेंगे ll

सुशीला जोशी, विद्योत्तमा
9719260777

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