मुक्तक
अब केवल आवश्यकता है हिम्मत की खुद्दारी की,
दिल्ली केवल दो दिन की मोहलत दे दे तैय्यारी की,
सेना को आदेश थमा दो घाटी ग़ैर नहीं होगी,
जहाँ तिरंगा नहीं मिलेगा उनकी खैर नहीं होगी।
अब केवल आवश्यकता है हिम्मत की खुद्दारी की,
दिल्ली केवल दो दिन की मोहलत दे दे तैय्यारी की,
सेना को आदेश थमा दो घाटी ग़ैर नहीं होगी,
जहाँ तिरंगा नहीं मिलेगा उनकी खैर नहीं होगी।