मुक्तक
बिछाए शौक़ से, ख़ुद बेवफ़ा की राहों में
खड़े हैं दीप की हसरत लिए निगाहों में,
ये इंतज़ार भी एक इम्तिहां होता है
इसी से इश्क़ का शोला जवां होता है।
बिछाए शौक़ से, ख़ुद बेवफ़ा की राहों में
खड़े हैं दीप की हसरत लिए निगाहों में,
ये इंतज़ार भी एक इम्तिहां होता है
इसी से इश्क़ का शोला जवां होता है।