मुक्तक
मोहब्बत में जवां दो दिल, कभी बालिग नहीं होते,
मोहब्बत में गिले शिक़वे, कभी वाज़िब नहीं होते,
कभी ग़म है तो खुशियाँ हैं, यही रंग-ढंग है जीने का,
ये रिश्ते प्यार के सबको, मुनासिब भी नहीं होते।
मोहब्बत में जवां दो दिल, कभी बालिग नहीं होते,
मोहब्बत में गिले शिक़वे, कभी वाज़िब नहीं होते,
कभी ग़म है तो खुशियाँ हैं, यही रंग-ढंग है जीने का,
ये रिश्ते प्यार के सबको, मुनासिब भी नहीं होते।