मुक्तक
ये बलायें और ये सितम ही सही,
इश्क़ में मिले दर्द-ए-सनम ही सही,
जिस को चाहें वो सारी ख़ुशी दे दें
मेरे हिस्से में उनके ये ग़म ही सही।
ये बलायें और ये सितम ही सही,
इश्क़ में मिले दर्द-ए-सनम ही सही,
जिस को चाहें वो सारी ख़ुशी दे दें
मेरे हिस्से में उनके ये ग़म ही सही।