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26 Jun 2018 · 1 min read

मुक्तक

छिन्न -भिन्न अस्त -व्यस्त ये शब्द न जीवन में भाते
कृत्य सर्व सुखाय करें सन्तोष मिले न अकुलाते
उत्तम भाव त्याग समर्पण कर सुखी मन मस्त रहे
जिंदगी है बहती सी नदी रुकते जल सड़ जाते

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