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24 Jun 2018 · 1 min read

मिजाज ए दुनिया

पता नहीं दुनिया वाले क्या सोचते रहते हैं,
सच कहने सुनने वालों को कोसते रहते हैं।

मोहब्बत में हदें हर कोई पार करता है यहाँ,
पर पता लगने पर औरों को टोकते रहते हैं।

खुद मोहब्बत में हर मोड़ से गुजर जाते हैं,
पर दूसरों को अक्सर जाने से रोकते रहते हैं।

पहले मिलन का सुखद अहसास याद रखते हैं,
पर ये सब पाप है, ऐसा औरों को बोलते रहते हैं।

जो दायरों में बंधी रहे वो क्या खाक मोहब्बत है,
लोगों का क्या है, वो तो कुत्तों से भौंकते रहते हैं।

“सुलक्षणा” ने देखा है मिजाज ए दुनिया करीब से,
लोग छिपाकर राज अपने औरों के खोलते रहते हैं।

©® डॉ सुलक्षणा

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