ज़िंदगी
“जीवन का सही मतलब,जो समझा है वहीं खुश हैं,
नहीं गम की फिकर जिसको,ना सोचे कल की क्या होगा,
मिली जो आज खुशियों से भरी,सौगात में खुश हैं,
चेहरा पास न हो तो भी,आंखें नम नहीं उसकी,
वो सुन कर दूर से भी,अपनों की आवाज से खुश हैं,
नहीं आलम पता क्या अंत का, होगा मगर समझो,
वो तो आज बस अपने नए आगाज से खुश हैं,
जीवन का सही मतलब,जो समझा है वही खुश है,
न शिकवा है उसे कोई,ना कोई भी शिकायत है,
रूठने पर मनाने के,इस रिवाज से खुश है,
नहीं रोड़ा है उसकी राह में, धर्मों का कोई भी,
निभाकर धर्म मानवता का,इस अंदाज में खुश है,
खुशियों के पलों को उसने,कुछ ऐसे संजोया है,
कि गम में भी बिताए उन पलों की,याद में खुश है,
नहीं दबने दिया जो ख्वाहिशो की बोझ में खुद को,
उम्मीदों पर नहीं वो कोशिशों की,चाल में खुश है,
गम भी सिर झुकाता है,ऐसे खुश मिजाजों पर,
जो लड़कर मुश्किलों से भी हर हाल में खुश है.”