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11 May 2018 · 1 min read

#ग़ज़ल-52

मीटर–212-212-212-212

आपकी याद तो आ ग़ज़ल-सी हुई
शायरी खिल अदब ये कमल-सी हुई/1

चाँद की चाँदनी-सी अमर याद है
कब बिछड़कर जुदा ये सजल-सी हुई/2

पाक दामन सदा पाक मन है करे
बात मेरी क़सम से अटल-सी हुई/3

आज भी रुह तुझे भूल सकती नहीं
दिल-नगर में अरे तू महल-सी हुई/4

सोचता भी नहीं पर नज़र में रहे
प्यार की ये ग़जब की पहल-सी हुई/5

बिन कहे जो मिले ना क़दर वो करे
ज़िंदगी यूँ लगेगी सरल-सी हुई/6

एक मरना कहे एक जीना सुनो
सादगी है उसी की अचल-सी हुई/7

-आर.एस.’प्रीतम’

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