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25 Feb 2018 · 1 min read

** विरही पपीहा **

** विरही पपीहा **
¤ दिनेश एल० “जैहिंद”

पपीहा, विरही-पपीहा
कितना है वो दुख सहा ।।
रातो दिन है रट लगाए
है पी कहाँ – है पी कहाँ ।।

पिया बड़े उसके निष्ठुर
ना आवाज़ दे के मैं यहाँ ।।
बिन गँवाए इक पल भी
तू आ जा सजनी मैं जहाँ ।।

खड़ा इक पैर तुझे निहारूँ
तुझपे मैं ये जीवन वारूँ ।।
कहता फिरे सदा पपीहा
दर्शन करके मुक्ति पालूँ ।।

दर्द पपीहे का जाने कौन
ना समझे कोई रहे मौन ।।
राम जाने राम ही उबारे
आकर वही ले जाए गौन ।।

=============
दिनेश एल० “जैहिंद”
12. 07. 2017

Language: Hindi
686 Views

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