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8 Feb 2018 · 1 min read

बाल कविता

मौसम होली का फिर आया…

उमेशचन्द्र सिरसवारी

मौसम होली का फिर आया।
उड़ते लाल, गुलाल गलियन में,
मौसम बड़ा सुहाना छाया।

चुन्नू-मुन्नू ले पिचकारी दौड़े,
काका की सारी धोती भिंगाई।
सबके चेहरे लाल हो गये,
रौनक होली की है छाई।
इसे रंगा और उसे रंगा,
धूम मचाती टोली आई।

करते धमा-चौकड़ी दिन-भर,
सब दोस्तों ने मौज मनाई।
बड़े पकवान बने हैं घर में,
गुझिया सबके मन को भायी।
दौर चला अब गले-मिलन का,
चौपालों पर रौनक छाई।
गिले-शिकवे सब दूर करो,
अब तो होली मिल लो भाई।।
©

पता-
उमेशचन्द्र सिरसवारी
पूर्व शोधार्थी, हिन्दी-विभाग,
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय,
अलीगढ़ (उ.प्र.)- 202002
स्थायी पता- ग्रा. आटा, पो. मौलागढ़,
तह. चन्दौसी, जि. सम्भल
(उ.प्र.) 244412
09720899620

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