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3 Feb 2018 · 1 min read

हृदय गीत

सुर से जब सुर जुड़ जाते हैं
शब्दों के दिल मिल जाते हैं
मुस्काती हैं लहरें हिल मिल
और एक ग़ज़ल बन जाती है।

पानी में होती है हल चल
जब खिल उठता कमलों का दल
रक्तिम आभा घुल आती है
और एक ग़ज़ल बन जाती है।

पंछी जब करते हैं गायन
भँवरे जब करते है नर्तन
हर कली कली इठलाती है
और एक ग़ज़ल बन जाती है।

सांसों में गीतों की सरगम
आहों में दुनियाँ का वेदन
सपनों में सज कर आती है
और एक ग़ज़ल बन जाती है।

बारिश की बूंदों की टप तप
घर लौटते खग जन का कलरव
किरणों में छटा दिखाती है
और एक ग़ज़ल बन जाती है।

तन्मय खोया खोया सा मन
लगता हो बीहड़ भी उपवन
एक ललक सी मन में छाती है
और एक ग़ज़ल बन जाती है।

भावों का ज्वार सा उठता है
दिल कुछ कहने सा लगता है
मन की देहरी वह आती है
और एक ग़ज़ल बन जाती है।

विपिन

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