Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Nov 2017 · 1 min read

धर्म…..

धर्म (तेवरी)…….
…….. ……… ………

जिन्हें देखना था वो दर्शक कहाँ गये?
धर्म के वो रक्षक कहाँ गये?
कौन परोस रहा आखिर ये बहशीपन
धर्म के शान्तिपूर्ण मापदंड कहाँ गये?
राम, रहीम ने दिये जो उपदेश सद्भावना के
आखिर वो सद्भावना वाले पल कहाँ गये?
आपसी भाईचारा हर धर्म का सूत्र
भाईचारे वाला वो आत्मबल कहाँ गये?
हमने माना हर धर्म का अलग मापदंड
इन मापदंडों के सुन्दर बैचारिक फल कहाँ गये?
संस्कार और संस्कृति कहाँ गये?
अमानवीय प्रवृत्ति का दौर चल रहा
वो मानवीय प्रवृत्ति के रक्षक कहाँ गये?
धर्म धारण की विषय- वस्तु
धर्म को धारण करने वाले धर्मात्मा कहाँ गये?
धर्म धुरी है पवित्र विचारों का
ऐसे पवित्र निर्मल विचारों के प्रवर्तक कहाँ गये?
धर्म दिक्षा है अहिंसा का
दिक्षा देनेवाले वो धर्मभीरु कहाँ गये?
धर्म आचरण है इंसानियत का
प्रेम, सद्भाव बढाने वाले इंसान आखिर कहाँ गये।
“सचिन” पुछता है आज हर एक मानव से
धर्म को कलंकित करनेवाले मानव क्यों कहला गये।।
……. ……..
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
☺27/11/2017☺

Language: Hindi
479 Views
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all

You may also like these posts

पिता आख़िर पिता है
पिता आख़िर पिता है
Dr. Rajeev Jain
*जीवन में जो पाया जिसने, उस से संतुष्टि न पाता है (राधेश्याम
*जीवन में जो पाया जिसने, उस से संतुष्टि न पाता है (राधेश्याम
Ravi Prakash
वो ठोकर से गिराना चाहता है
वो ठोकर से गिराना चाहता है
अंसार एटवी
4797.*पूर्णिका*
4797.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मातु शारदे वंदना
मातु शारदे वंदना
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
वसन्त का स्वागत है vasant kaa swagat hai
वसन्त का स्वागत है vasant kaa swagat hai
Mohan Pandey
अधूरा प्रयास
अधूरा प्रयास
Sûrëkhâ
व्यर्थ में
व्यर्थ में
surenderpal vaidya
तसल्ली के लिए इक इक कोने की तलाशी कर लो
तसल्ली के लिए इक इक कोने की तलाशी कर लो
शिव प्रताप लोधी
साजन तुम आ जाना...
साजन तुम आ जाना...
डॉ.सीमा अग्रवाल
"जुनून"
Dr. Kishan tandon kranti
टॉम एंड जेरी
टॉम एंड जेरी
Vedha Singh
मुश्किलें जरूर हैं, मगर ठहरा नहीं हूँ मैं ।
मुश्किलें जरूर हैं, मगर ठहरा नहीं हूँ मैं ।
पूर्वार्थ
"अपनी ही रचना को थोड़ी देर के लिए किसी दूसरे की मान कर पढ़िए ए
*प्रणय*
नदी (पहले और आज)
नदी (पहले और आज)
Uttirna Dhar
हम क्रान्ति तो ला चुके हैं कई बार
हम क्रान्ति तो ला चुके हैं कई बार
gurudeenverma198
प्रिय मैं अंजन नैन लगाऊँ।
प्रिय मैं अंजन नैन लगाऊँ।
Anil Mishra Prahari
दो जून की रोटी
दो जून की रोटी
Mukesh Kumar Rishi Verma
हरिगीतिका छंद विधान सउदाहरण ( श्रीगातिका)
हरिगीतिका छंद विधान सउदाहरण ( श्रीगातिका)
Subhash Singhai
करवाचौथ
करवाचौथ
Dr Archana Gupta
सत्यम शिवम सुंदरम🙏
सत्यम शिवम सुंदरम🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आज पुराने ख़त का, संदूक में द़ीद़ार होता है,
आज पुराने ख़त का, संदूक में द़ीद़ार होता है,
SPK Sachin Lodhi
गीत- जिसे ख़ुद से हुआ हो प्रेम...
गीत- जिसे ख़ुद से हुआ हो प्रेम...
आर.एस. 'प्रीतम'
हाँ देख रहा हूँ सीख रहा हूँ
हाँ देख रहा हूँ सीख रहा हूँ
विकास शुक्ल
अगर आज किसी को परेशान कर रहे
अगर आज किसी को परेशान कर रहे
Ranjeet kumar patre
मेरी नज़र
मेरी नज़र
कुमार अविनाश 'केसर'
"वाणी की भाषा": कविता
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शोर है दिल में कई
शोर है दिल में कई
Mamta Rani
आदि ब्रह्म है राम
आदि ब्रह्म है राम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
जन्मों का नाता
जन्मों का नाता
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
Loading...