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4 Sep 2017 · 1 min read

ऐ धरा क्यों

सिद्दत से करेंगे उस लम्हे का इंतजार
जब भरी आँखों से पढ़ी जाएगी
नब्जों की हर तस्वीर
पहली नजर जब
भरे बादलों की चुभन पहचानेगी
उस तड़प का एहसास की क्या होता है इंतजार
जब वो ………
मेह बन घुटा है
क्यों कड़कता …..
क्यों चमकती है बिजली ……..
ठिठुरते हैं लोग
डरती हैं कलियाँ
पर वो आज खुश है कि
अब वो मिलेगा अपनी सांसो से
जिसके लिए वो इतने दिन
निस्तब्ध रहता है
अपलक निहारता है
उसे निर्निमेष नेत्रों से
सिर्फ एक रंगे भाव से
उसके हर उतर -चढाव को देखता है
छ ऋतुओं कि रौनक देखता है
बस राह में
कि अबकी बारिश में
मिलूँगा तुझसे – बुँदे बन कर
ए धरा क्यों ? तू इतनी दूर है
हम क्षितिज के किनारों पे मिलने का भरम
लोगों को देते हैं क्यों ??????????

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