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3 Sep 2017 · 1 min read

ग़ज़ल।गम से तेरे अभी तक रिहा न हुआ ।

ग़ज़ल /गम से तेरे अभी तक रिहा न हुआ ।

दर्द दिल का वही है दवा न हुआ ।
ग़म से तेरे अभी तक रिहा न हुआ ।

हो गयी दूर तेरी वो परछाइयाँ ।
पर यकीं मान लो फ़ासला न हुआ ।

तड़फड़ाता रहा उम्रभर प्यार मे ।
फ़स गयी जिंदगी मै रिहा न हुआ ।

सोच मत मै अकेला हूं अब भी यहां ।
तेरे जैसा मेरा दूसरा न हुआ ।

आंसुओं की मुझे फिक्र बेशक़ नही ।
तेरे जाने से ज़्यादा , बुरा न हुआ ।

आ चली देख ले लुट गयी जिंदगी ।
हार करके तुम्हे जीतना न हुआ ।

तू चली ही गयी छोड़ रकमिश को जब ।
मन्ज़िले ढ़ह गयी रास्ता न हुआ ।

राम केश मिश्र

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