Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Aug 2017 · 1 min read

परदेसी

जब भी देखता हूं
फोटो देश की अपनी
इंटरनेट पर
भर जाता है
दिल उमंग से
जगता है
उमड़ता है
देश प्रेम
अपने आप से ।
बिछड़े एक अरसा हो गया
जिन दोस्तों से
देखता हूँ
उनकी तस्वीर जब भी
Facebook पर
हजार बातें,अनगिनत यादें
एक संग याद आती है
दिल के दरवाजे पर ।
जब भी होती है बातें
WhatsApp पर,
वीडियो कॉल पर
परिवार से,
रिश्तेदार से
चाहता हूँ
कह दूँ सारी दिल की बातें
जो उतरना चाह रही है
अल्फाजों में
कि !
मां तेरे हाथों का खाना याद आ रहा है !
पापा आपका डांटना याद आ रहा है !
भाभी आपका पुचकारना याद आ रहा है !
भैया तेरा साथ याद आ रहा है !
पर नहीं कह पाता
हूँ थोड़ा संकोची
स्वभाव से ।
कई बार नहीं हो पाती है
व्यक्त भावनाएं
फोन पर सही ढंग से
होती है व्यक्त भावनाएं
सही ढंग से
जब मिलते हैं हम
आमने-सामने से ।
हूँ मैं अपने घर से दूर
परदेसी में
पर
मेरा दिल और जान
बसता है
स्वदेश में !
??????????????????????????????

Language: Hindi
387 Views

You may also like these posts

ग़ज़ल _ दिल मचलता रहा है धड़कन से !
ग़ज़ल _ दिल मचलता रहा है धड़कन से !
Neelofar Khan
सज धज के आज वो दीवाली मनाएगी
सज धज के आज वो दीवाली मनाएगी
इशरत हिदायत ख़ान
क्या बनाऊँ आज मैं खाना
क्या बनाऊँ आज मैं खाना
उमा झा
हाइकु- शरद पूर्णिमा
हाइकु- शरद पूर्णिमा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सहारे
सहारे
Kanchan Khanna
क्या खूब थी वो जिंदगी ,
क्या खूब थी वो जिंदगी ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
पधारो मेरे राम बन्ना, पधारो सा….
पधारो मेरे राम बन्ना, पधारो सा….
सुनीता महेन्द्रू
The only difference between dreams and reality is perfection
The only difference between dreams and reality is perfection
सिद्धार्थ गोरखपुरी
व्यर्थ में
व्यर्थ में
surenderpal vaidya
3584.💐 *पूर्णिका* 💐
3584.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जलता हुआ एक सूरज ...
जलता हुआ एक सूरज ...
sushil sarna
महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि
Seema gupta,Alwar
आज की नारी
आज की नारी
Dr.sima
मुझे लगता था किसी रिश्ते को निभाने के लिए
मुझे लगता था किसी रिश्ते को निभाने के लिए
पूर्वार्थ
अतीत याद आता है
अतीत याद आता है
Sumangal Singh Sikarwar
फिर जल गया दीया कोई
फिर जल गया दीया कोई
सोनू हंस
सखी ये है कैसा सावन।
सखी ये है कैसा सावन।
श्रीकृष्ण शुक्ल
पाती
पाती
Padmaja Raghav Science
प्रेम लौटता है धीमे से
प्रेम लौटता है धीमे से
Surinder blackpen
"अच्छे साहित्यकार"
Dr. Kishan tandon kranti
संवेदना
संवेदना
ललकार भारद्वाज
2 जून की रोटी की खातिर जवानी भर मेहनत करता इंसान फिर बुढ़ापे
2 जून की रोटी की खातिर जवानी भर मेहनत करता इंसान फिर बुढ़ापे
Harminder Kaur
जीवन  में फल रोज़-रोज़ थोड़े ही मिलता है,
जीवन में फल रोज़-रोज़ थोड़े ही मिलता है,
Ajit Kumar "Karn"
स्वर्णपरी🙏
स्वर्णपरी🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हंसगति
हंसगति
डॉ.सीमा अग्रवाल
लड़ता रहा जो अपने ही अंदर के ख़ौफ़ से
लड़ता रहा जो अपने ही अंदर के ख़ौफ़ से
अंसार एटवी
अंतर्निहित भय
अंतर्निहित भय
Shashi Mahajan
"मैं ही हिंदी हूं"
राकेश चौरसिया
डर - कहानी
डर - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*Hail Storm*
*Hail Storm*
Veneeta Narula
Loading...