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7 Aug 2017 · 1 min read

विधा कुण्डलिका रक्षाबंधन पर

यादें हैं बचपने की, राखी है बँधवाए।
मुँह में मिठाई खाये, एक रूपया टिकाए।।
एक रुपया टिकाए , चार दूरहीं दिखाये।।
बारि बारि चिढ़ाये ,रूठूँ पास आए मनाये
भगिनी संगी खेले , कुछ न कुछ चीज खिलाये
माँ देखी मुस्काए ,सोच प्यार भरी यादें।
सज्जो चतुर्वेदी*******

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