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28 Jul 2017 · 1 min read

होली है भाई होली

जमुरों की यह टोली
लगती कितनी भोली
देती सबको गोली
होली है भाई होली।
खूल्ले सांड सा दौड़े
करते सीना चौड़े
खुले सड़क पे भागे
बाप से खर्चा मांगे,
निकम्मो की यह टोली
होली है भाई होली।
बड़ा बुजूर्ग न मानें
काम करे मन माने,
कुल का नाम डुबाये
बैठ मुफ्त का खाये,
कड़वी इनकी बोली
होली है भाई होली।
घर से दूर न जायें
चाहे कोई भगायें
परूआ बैल सा चलते
जीवन भर हाथ है मलते
खाली रहती झोली
होली है भाई होली।
अच्छा मांगे खाना
सबको मारें ताना,
इनमें ना कोई बुराई
समझे दारू को दवाई,
खायें नित्य भांग की गोली
होली है भाई होली।
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
7/2/2017
9560335952

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