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25 Jul 2017 · 1 min read

सपने भी साकार हुए हैं

करते जो श्रंगार श्रम का
उनके दिन त्योहार हुए हैं
अपने ही सत्कर्मों से सब
सपने भी साकार हुए हैं ।

बसती लगन हिय में जिनके
उनके कर्म उपहार हुए हैं ,
सबके हित जो चिन्तन करते
वही सुखी हरबार हुए हैं ।

डरे नहीं जो तूफानों से
उनपर ही उपकार हुए हैं ,
रुके नहीं जो बीच राह में
धन्य वही घरबार हुए हैं ।

डॉ रीता

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