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27 Mar 2017 · 1 min read

@@@ रंग @@@

[[[[ रंग ]]]]

वाह ! रंग भी क्या शब्द है,
क्या भाव है, क्या अर्थ है ||
बिना इस रंग के संसार में
भूमि-नभ-जीवन व्यर्थ है ||

ये ज्योति है रंग की माता,
पिता जगत पालक दिनेश ||
समस्त ब्रह्मांड को हर्षाया,
इसने धरकर सतरंगी भेष ||

घरती,गगन व हमारी साँसों में
इसने कितने इंद्रधनुषी रंग भरे ||
रंग का ऐसा यहाँ रंग चढ़ा कि
बने भिन्न-भिन्न यहाँ मुहा-वरे ||

है रंग का भी अपना ही रंग
कभी जमाया तो उतारा रंग ||
कभी मैफिल में जमाया रंग
तो कभी सूरत का उतारा रंग ||

देखो आज यहाँ है कवि-गोष्ठी
हर कवियों के दिलों में है उमंग ||
एक से बढ़कर एक कविता पढ़े
शेरो-शायरी, गीत-कवित रंगारंग ||

चला गया रंग जमा के शायर
लाल रंग चढ़ाके निकला रवि ||
देखो आज मैं रंग जमाऊँगा
पीछे हटने वाला ना हूँ मैं कवि ||

रंग बरसे भींगे नारी की चुनर
माँ ये मेरा बसंती चोला रंग दे ||
तू रंग जा श्रीहरि के रंग में और
मैं रंग जाऊँ भारती के संग में ||

रंग चुराकर रश्मि से पुष्पों ने
सुंदर सारा जग को बना दिया ||
रंग भर कर एक चित्रकार ने
हमारे अंत:मन को सजा दिया ||

==============
दिनेश एल० “जैहिंद”
03. 01. 2017

Language: Hindi
389 Views

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