Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
13 Feb 2024 · 1 min read

चन्द ख्वाब

चन्द ख्वाब राख में भी धड़कते मिलेंगे ,
मेरा वजूद जब , कुछ आंखों से बहेगा ,,,

ज़िन्दा हैं ख्वाब इस कदर कि नींद मर गई ,
ज़िद ओढ़ बैठा मन अब कुछ ना सुनेगा ,,,,

बैठा है चांद ले कर रोशनी के धागे ,
कल सुबह की खातिर नए पंख बुनेगा ,,,

– क्षमा उर्मिला

Loading...