[[[[ मिलन ]]]]
शीर्षक साहित्य परिषद्
द्वारा दैनिक श्रेष्ठ चयनित रचना —-
[[[ मिलन ]]]
आसमां से ज्यों धरती,
मिले दूध से ज्यों पानी |
आओ सनम बाँहों में,
आरंभ हो एक कहानी ||
समुन्द्र से ज्यों सरिता,
मिले चंदन से ज्यों पानी |
एक पल ऐसा दे दो ना,
तर जाए मेरी जिंदगानी ||
साँसों में ज्यों होते प्राण,
वायु में ज्यों छुपी जान |
जान की तू जान जानम,
एक दूजे के दोनों हैं मान ||
नैना मिल के तेरे नैनों से,
बन जाए क्यूँ ना संतोषी |
मन का भ्रम तो मिट जाए,
रह ना जाए अब कोई दोषी ||
घुल जाएं साँसों में साँसें,
दिल की दिल ही सिर्फ सुने |
दो रूहों का हो अब मिलना,
कर लें बातें अब वे अनसुने ||
जनमों जनम तक हो बँधन,
ना फूटे प्रीत की कभी सुराही |
दुनिया की बेदर्द अदालत में,
चाँद-तारे सदा बने रहे गवाही ||
दिनेश एल० “जैहिंद”
21. 01. 2017