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26 Mar 2017 · 1 min read

अनुभूति

अनुभूति !
क्यों ?
कब?
कहाँ ?
कैसे ?
किस हाल में ?
किस साल में ?
किस दहलीज पे?
किस आवाज पे?
अंकुरित हुई
किस तरह ?
अनजान अक्स को
ख्वाबों में
रंगते रहे
तलाशते रहे
खोई हुई
उसकी किताबों के पन्नों को
कहीं मिल जाए?
उसकी जहन में
अपनी तस्वीर
किससे कहते ?
कैसे कहते ?
खामोश भी रहें तो
कैसे रहें?
इस बेचैनी को
बयाँ करें तो
कैसे करें ?
काश!
महसूस कर पाते
बेलगाम धडकनों को
समझ पाते
उखडते जज्बातों को
तो कहीं
थम जाता यह शोर
थम जाता यह वक्त
मुहब्बत की आगोश में
घड़ी दो घड़ी

श्री एस•एन•बी•साहब

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