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18 Feb 2017 · 1 min read

आ रहे है

बेशर्म की कलम से

आ रहे हैं

दिन दिन निखरते जा रहे हैं।।।
क्या अच्छे दिन आ रहे हैं।

अपने घर का गेहूं जाने।
किस चक्की पर पिसा रहे हैं।

भाभी जी सरपंच हो गईं।
भैया जी अब मुटा रहे हैं।

सड़के पानी घास टपरिया।
जाने क्या क्या पचा रहे हैं।।

देख बेशर्म हाल गाँव का।
मन ही मन शरमा रहे हैं।

विजय नामदेव बेशर्म
गाडरवारा 9424750038

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