Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
25 Jan 2017 · 1 min read

"वजूद"

देखें क्या हाल हो गया आदमी का रोटी कमाने में।क्या मैनें ठीक कहा? पढ़िये और बताइये :-
————————-
“क्षणिका”
“वजूद”
————————-
वजूद मेरा
खा गया
शहर यह तेरा;
पत्थर सा,
हो गया हूँ ;
ठोकर खा खा,
के पहुँचा,
अब तेरे ,
दर के पास।
————————
राजेश”ललित”शर्मा
२४-१-२०१७
——————–

Loading...