Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
24 Jan 2017 · 1 min read

छुअन

जब भी
तुम कभी
मुस्कुराते हुए
अपनापन जताते हुए
मेरे करीब तुम आते हो
तब-तब पराए सा लगते हो

जब कभी
शाम ढले
दीप जले
सकुचाते हुए
दूर जाते हुए
ओझल होते हुए
बुझी-बुझी सी तुम दिखते हो
दिल की गहराइयों को छू जाते हो

Loading...