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24 Jan 2017 · 1 min read

अधखिली कली

भटका हुआ है गली
खुद की गली से
चाहता है खुशबू
अधखिली कली से

सहम जाती है
बढ़ते हाँथ देखकर
कहीं कुचला न जाऊँ ?
वक्त से पहले

तरासे जाते हैं पत्थर
इंसान बनाने के लिए
फिर लगे हैं लोग क्यों?
शैतान बनाने के लिए

इंसान -शैतान कौन?
फर्क नहीं समझती
बस इतना चाहती है
खिलने दो मुझे भी
महकने दो मुझे भी
हवाओं में फिजाओं में
बिखरने दो मुझे भी

श्री एस•एन•बी• साहब

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