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25 Dec 2016 · 1 min read

ग़ज़ल

प्यार की धुन को बजता जायगा
राज़ जीवन का सुनाता जायगा |

पल दो पल की जिंदगी होगी यहाँ
दोस्ती सबसे निभाता जायगा |

बाँटता जाएगा मोहब्बत सदा
दोस्त दुश्मन को बनाता जायगा |

पेट खुद का चाहे हो खाली मगर
खाना भूखों को खिलाता जायगा |

ले धनी का साथ अपनी राह में
मुफलिसों को भी मिलाता जायगा |

छोड़ नफरत द्वेष हिंसा औ घृणा
प्रेम मोहब्बत सिखाता जायगा |

उस फरिस्ते की प्रतीक्षा है अभी
स्वर्ग धरती को बनाता जायगा |

© कालीपद ‘प्रसाद’

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