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19 Dec 2016 · 1 min read

कलियुग-दंश

हे श्याम तुम्हारे राज्य में,
कंस ऐंठते मूंछ।
सुनें सिंहश्री गीदड़-भभकी,
रहें दबाए पूंछ।
सज्जन दुर्जन के घर जाके,
रोज़ दबाएँ पैर।
कूकुर साहब को साहब श्री,
भोर कराएँ सैर।

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