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18 Dec 2016 · 1 min read

फिर वही चाँद है

फिर वही चाँद है,फिर वही रात
पर जाने न क्यों आज वह बात
तुम भी वही ,हूँ मैं भी वही,
पर क्यों बदले बदले जज्बात
फीका है चाँद और गहरी रात
इश्क पर किसने किया आघात
दबे पाँव ये कौन आया दरमियां
बद से बदतर कर गया हालात
कहना है तुमको,मुझको भी बहुत
लेकिन पहले करेगा कौन बात
हेमा तिवारी भट्ट

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