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2 Dec 2016 · 1 min read

इंतजार

मेरी सुबहों को तेरी शामों का इंतजार रहता है,
मेरे टूटे हुए दिल में बस तेरा ही प्यार रहता है।

मेरी आँखों से तेरे दिए दर्द का दरिया बहता है,
तेरे दिए आँसुओं में होता तेरा दीदार रहता है।

तन्हा रातें, भीगा तकिया है गवाह बेचैनी का,
देख उदासी मेरी उदास पूरा परिवार रहता है।

दर्द चेहरे से ना झलके मेरे अब यही कोशिश है,
इसीलिए चेहरे पर झूठी हँसी का श्रृंगार रहता है।

तेरी यादों के चिरागों से रोशन है ये जिंदगी मेरी,
आओगे तुम जरूर लौटकर ये ऐतबार रहता है।

समेटती रहती है दर्द को कागजों में ‘सुलक्षणा’,
एक तेरे ना होने से ही सुना घर संसार रहता है।

©® डॉ सुलक्षणा अहलावत

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