हम मानव हैं हरित धरा के :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट १५९)
हम मानव हैं हरित धरा के ,मानवता से नाता है ।
भारत भाग्य विधाता है ।।
महारथी कवि काव्यप्रज्ञ ये स्वर्णिम रथ दौडाते हैं।
काव्यकलश में मधुरस भरकर ,सबको रस छलकाते हैं।
ऋषि मुनियों का देश निराला ऋत्- अमृत- उद्गाता है ।
भारत भाग्य- विधाता है।।
जहॉ धर्म है, वहॉ इष्ट भी, विजय सुनिश्चित ,कर्म करें ।
सत्पथ के अनुगामी बनकर, मानवता में रंग भरें ।
सब देशों में देश हमारा , सकल विश्व विख्याता है ।
भारत भाग्य- विधाता है ।।
— जितेंद्रकमलआनंद