Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
19 Oct 2016 · 1 min read

कितना पावन पर्व है करवा चौथ

कितना पावन पर्व है करवा चौथ हम महिलाओं के लिए,
इस दिन के आगे और खुशियाँ हैं कम महिलाओं के लिए।

कई दिन पहले से इस दिन की तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं,
कैसे कैसे होंगी तैयार, सभी सुनहरे सपनों में खो जाती हैं।

कोई लाती है नयी साड़ी तो कोई सूट नया सिलवाती है,
दो दिन पहले ही जा कोई फेशियल अपना करवाती है।

मैचिंग की चूड़ियाँ लाती, लाती सौंदर्य सामग्री खरीदकर,
मेहँदी में छिपाकर लिख नाम कहती हैं दिखाओ ढूंढकर।

दुल्हन सी सजकर सच्चे मन से व्रत की कथा को सुनती,
दिनभर अपने मन ही मन में पिया मिलन के सपने बुनती।

रात में साजन टहलने लगते छत पर चाँद के इंतजार में,
देती अर्घ्य चाँद को फिर छूती पैर पति के भरकर प्यार में।

पति खिलाकर मिठाई अपने हाथों से व्रत खुलवाता है,
जिनके पति नहीं पास में उनका मन मायूस हो जाता है।

भाग्यशाली है सुलक्षणा साजन रहते पास में इस दिन,
भगवान करें रहे ना अकेली सुहागन अपने साजन बिन।

©® डॉ सुलक्षणा अहलावत

Loading...