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19 Oct 2016 · 1 min read

करवा चौथ पर एक रचना

सूर्योदय से पहले उठी मैं, किया जलपान मैंने,
जलपान में लिया चूरमा और कुछ मिष्ठान मैंने।

करके स्नान उस प्रभु के नाम की ज्योति जगाई,
पति की लम्बी उम्र का माँगा उनसे वरदान मैंने।

करवा चौथ का रखा व्रत पति परमेश्वर के लिए,
दो बजे सुनी कथा फिर दिया दक्षिणा दान मैंने।

की एक ही प्रार्थना अखंड सुहाग मेरा बना रहे,
सदा रहे सलामत वो, जिन्हें माना है जान मैंने।

हाथों में चूड़ियां, माथे पर बिंदिया बनी रही मेरे,
बनकर धरती उस प्रभु से माँगा आसमान मैंने।

शाम हुई तारे निकले पर निकला देर से चाँद,
देकर चाँद को अर्घ्य किया प्रभु गुणगान मैंने।

पति परमेश्वर, बड़े बुजुर्गों से लिया आशीर्वाद,
पति की आँखों में देखा मेरे लिए सम्मान मैंने।

फिर किया एक साथ भोजन बड़े प्रेम से हमने,
इस तरह सुलक्षणा पुरे कर लिए अरमान मैंने।

©® डॉ सुलक्षणा अहलावत

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