फूल – सी कोमल गुलाबी ताज़गी ले आइए ( ग़ज़ल) पोस्ट १९
ग़ज़ल ::: फूल – सी कोमल गुलाबी ताज़गी ले आइए
जोड़ दे जो दो दिलों को सादगी ले आइए
तब कहेंगे मत मिटो अपने वतन पे दोस्तों
जो यहॉ आकर न जाये , आदमी ले आइए
है अँधेरों को जरूरत आइने की आज भी
जो कभी बुझने न पाये रोशनी ले आइए
याद आते हों तुम्हे न वायदे हमसे किये
फेहरिश्त हो जिसमें लिखी वो डायरी ले आइए
दे सके जो ” देश के मुरझे चमन को
वो छलकते प्यार की ही शायरी ले आइए ।।
—– जितेन्द्र कमल आनंद