Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
23 Sep 2016 · 1 min read

इज्जत करना तू सीख जरा

जाँ यह मेरी कुरबान नहीं
दिल में कोई अरमान नहीं

मिली किराये पर गिनीचुनी
इन साँसों का कप्तान नहीं

पता नहीं कहाँ चला जाये
कोई धरती पर मेहमान नहीं

क्यों दम्भ भरे अब इतना तू
तुझ सा कोई शैतान नहीं

सब कुछ जानबूझ कर करता
हरकत से कभी अंजान नहीं

इज्जत करना तू सीख जरा
मरने पर तुझे क्षमादान नहीं

गर सीख न ली आज गजल से
तुझसा कोई नादान नही

रूलाये जो खूँ के आँसू
तुझ में जिन्दा इन्सान नही

होशियार जो इतना बनता
छोड़ तुझे अब हैवान नहीं

आँख मिचौली को बंद कर दे
तुझसा कोई शमसान नहीं

Loading...