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23 Sep 2016 · 1 min read

नजरअंदाज मत करो जो आम होते है

नजर अन्दाज मत करो जो आम होते है
पड़े जब वक्त वो ही तब हमारे काम होते है

सलाहें भी बहुत महंगी मिलेगी रोज लोगों से
मगर जब मान कहना बड़े ही दाम होते है

कहा क्या है किसी से होश उनको फिर नहीं रहता
कभी जा देख लो तो रोज पीये जाम होते है

निगाहों से टपक आँसू गिरे डूबे गमों में हम
गजल को तब लिखे जो लोग खय्याम होते है

कभी हो प्यार का जब मामला अनजान अपने से
दिलों की धड़कनों से वो सदा गुमनाम होते है

डॉ मधु त्रिवेदी

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