Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Aug 2016 · 1 min read

जीवन में कुछ खोया भी —– गज़ल

जीवन में कुछ खोया भी
लेकिन ज्यादा पाया भी

नफरत की चिंगारी फेंक
लोगों ने भड़काया भी

उसके शिकवे सुन कर कुछ
अपना दर्द सुनाया भी

मुझ को डमरू समझे लोग
सब ने खूब बजाया भी

कहना कुछ बेकार लगा
शिकवा होठों पर आया भी

उड़ते उड़ते बात उड़ी
इतना राज छुपाया भी

पहले बोला गुस्से में
फिर उसने बहलाया भी

गुस्सा उस पर आया भी
पर दिल को समझाया भी

मंदिर मस्जिद जो देखा
सर को वहाँ झुका्या भी

होठों पर मुस्कान रही
आंसू पर छलकाया भी

1 Like · 2 Comments · 545 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

3118.*पूर्णिका*
3118.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
करवाचौथ
करवाचौथ
Mukesh Kumar Sonkar
परिणाम से डरो नहीं
परिणाम से डरो नहीं
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
“पसरल अछि अकर्मण्यता”
“पसरल अछि अकर्मण्यता”
DrLakshman Jha Parimal
माँ तुम याद आती है
माँ तुम याद आती है
Pratibha Pandey
उम्मीद बाक़ी है
उम्मीद बाक़ी है
Dr. Rajeev Jain
साल का पहला त्यौहार
साल का पहला त्यौहार
Rekha khichi
मजदूर हूँ साहेब
मजदूर हूँ साहेब
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
क्या कहूँ ?
क्या कहूँ ?
Niharika Verma
बहुत कुछ सीखना ,
बहुत कुछ सीखना ,
पं अंजू पांडेय अश्रु
मैं पीपल का पेड़
मैं पीपल का पेड़
VINOD CHAUHAN
हक़ीक़त ने
हक़ीक़त ने
Dr fauzia Naseem shad
🙅आज का सवाल🙅
🙅आज का सवाल🙅
*प्रणय*
यह कहते हुए मुझको गर्व होता है
यह कहते हुए मुझको गर्व होता है
gurudeenverma198
मोहब्बत भी शुरू नही किए थे की ये रात बीत गई।
मोहब्बत भी शुरू नही किए थे की ये रात बीत गई।
Rj Anand Prajapati
किराये का घर
किराये का घर
Kaviraag
बिहार की सियासी उठापटक: बढ़ता जन असंतोष और प्रदर्शन, क्या बदलेंगे हालात?
बिहार की सियासी उठापटक: बढ़ता जन असंतोष और प्रदर्शन, क्या बदलेंगे हालात?
Shakil Alam
अपना-अपना दुःख
अपना-अपना दुःख
Dr. Kishan tandon kranti
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हक हैं हमें भी कहने दो
हक हैं हमें भी कहने दो
SHAMA PARVEEN
निज कर्तव्य निभाना है
निज कर्तव्य निभाना है
Sunil Suman
मुझे बेज़ार करने के उसे भी ख़्वाब रहते हैं
मुझे बेज़ार करने के उसे भी ख़्वाब रहते हैं
अंसार एटवी
ध्यान सारा लगा था सफर की तरफ़
ध्यान सारा लगा था सफर की तरफ़
अरशद रसूल बदायूंनी
मंजुल प्रभात
मंजुल प्रभात
Dr Nisha Agrawal
दोहे
दोहे
Rambali Mishra
हिन्दी दोहे :- सत्य की खोज
हिन्दी दोहे :- सत्य की खोज
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
अपूर्णता में पूर्ण है जो ,
अपूर्णता में पूर्ण है जो ,
rubichetanshukla 781
श्रमिक के सपने
श्रमिक के सपने
Seema gupta,Alwar
जन्म हाथ नहीं, मृत्यु ज्ञात नहीं।
जन्म हाथ नहीं, मृत्यु ज्ञात नहीं।
Sanjay ' शून्य'
माधव मालती (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
माधव मालती (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
Subhash Singhai
Loading...