थोड़ी सी जगह
बहुत देर से
पहाड़ पर बैठी
दो लड़कियाँ
देख रही हैं सहस्रधारा
लड़कियाँ देख रही हैं सहस्रधारा
और मैं देख रही हूँ
उनके भीतर सोये पहाड़ को
उनकी आँखों में छलछलाते सपनें हैं
और मन के भीतर
सोया है पहाड़
क्या करूँ
कि कम से कम
करवट ही ले ले पहाड़
और बन जाये थोड़ी सी जगह
सपनों के लिए।