सुखी इंसान वो जग में
सुखी इंसान वो जग में जहानत जिनके दिल में है
बुराई बीच रहकर भी शराफत जिनके दिल में है
बताओ तो भला कैसे निभेगी दोस्ती उनमें
नदी के दो किनारों सी मफासत जिनके दिल में हैं
सभी से भूल हो जाती सुनो इंसान हैं आखिर
उन्हें रब माफ़ करता है नदामत जिनके दिल में है
नहीं नफरत से कुछ मिलता ये नफरत ही बढाती बस
जरा लें सोच फिर से वो बगावत जिनके दिल में है
बँधी है स्वार्थ की पट्टी जहाँ की आज आँखों पर
बहुत अब लोग वो कम हैं मुहब्बत जिनके दिल में है
अगर हों भाव सेवा के नहीं वो “अर्चना ‘से कम
उन्हीं के साथ रब ऐसी इबादत जिनके दिल में है
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद (उ प्र )
जहानत –समझदारी ,नदामत –पछतावा