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2 May 2024 · 1 min read

आंधियों की धुन

आंधियों की धुन पे’ गाती ज़िंदगी!
दीप हिम्मत का जलाती ज़िदगी!!

वक्त की सरगोशियों के साज़ पर!
दिलनशीं नग़मे सुनाती जिंदगी!!

चूम लेता गर बुलंदी है बशर!
खिलखिलाकर मुस्कुराती ज़िंदगी!!

गरदिशों के काफ़िले को रौंदकर!
खुशनुमा मंज़र दिखाती ज़िंदगी!!

खेल बच्चों की तरह खेले सदा!
रूठती फ़िर मान जाती ज़िंदगी!!

आज को जीना मुसाफ़िर शान से!
बस यही पैग़ाम लाती ज़िंदगी!!

धर्मेंद्र अरोड़ा “मुसाफ़िर”
संपर्क सूत्र: 9034376051

Language: Hindi
75 Views

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