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24 Nov 2025 · 2 min read

अलविदा...धर्मेंद्र, बॉलीवुड के ही-मैन

हिंदी सिनेमा के सबसे प्रिय और दमदार अभिनेता, हमारे अपने धर्मेंद्र जी, 89 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कह गए। उनके निधन की खबर ने पूरे देश को गहरे शोक में डुबो दिया। यह सिर्फ एक महान अभिनेता का चला जाना नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा के एक स्वर्णिम अध्याय का अंतिम पृष्ठ है।

उनकी विरासत: धर्मेंद्र जी को “गरम धरम” कहा गया, लेकिन उनके चेहरे की मासूमियत और आँखों की शरारत ने उन्हें एक हीरो के साथ-साथ एक मानवीय और आत्मीय कलाकार भी बनाया।

यह भी सच है कि धर्मेंद्र वो दुर्लभ अभिनेता थे जिनकी मौजूदगी मात्र परदे को जीवंत कर देती थी।
‘शोले’ का वीरू हो या ‘सत्यकाम’ का आदर्शवादी नायक…उन्होंने किरदारों को निभाया नहीं, उन्हें जिया था।

300 से ज्यादा फिल्मों का सफ़र सिर्फ विविधता का प्रमाण नहीं, यह उनके असाधारण समर्पण और मेहनत की मिसाल है।

हिंदी सिनेमा में बहुत कम ऐसे कलाकार हुए हैं जिन्होंने एक्शन और रोमांस दोनों ही विधाओं में समान ऊँचाई हासिल की हो। उनकी सरलता, विनम्रता और अपनापन ही उन्हें जनता का “ही-मैन” बनाता था। न सिर्फ एक ताकत से, बल्कि दिल की खूबसूरती से।

🎬 यादगार पल: उनकी मुस्कान, उनका अंदाज़, उनकी आवाज़… हर चीज़ में एक अलग चमक थी।
“यादों की बारात”, “चुपके चुपके”, “धरम वीर”, “प्रतिज्ञा”… ऐसी अनेकों फ़िल्में हैं जिनमें उन्होंने यह साबित किया कि लोकप्रियता और अभिनय, दोनों एक साथ चल सकते हैं।

“चुपके चुपके” में उनका सहज हास्य और “सत्यकाम” में उनकी आत्मा को झकझोर देने वाली गम्भीरता, उनके अद्भुत अभिनय कौशल के दो शिखर हैं।

एक ऐतिहासिक सच: इससे पहले भी कई बार उनके निधन की झूठी खबरें फैल चुकी थीं। हर बार लोग चिंतित हुए, और हर बार उन्होंने मानो मौत को चुनौती देते हुए लौटकर कहा,“अभी मैं गया नहीं हूँ।” यह उनकी जिजीविषा, उनकी मज़बूती और उनके जीवन-प्रेम का अद्वितीय प्रतीक था। इस बार वो
मौत को मात नहीं दे सके।
इस बार उन्होंने चुपचाप, सादगी से, ठीक वैसे ही जैसे वे जीवन में थे, इस दुनिया से विदा ले ली।

शायद यही उनका सबसे बड़ा संदेश है। “हीरो वो नहीं जो मौत को हर बार हरा दे, हीरो वो है जो ज़िंदगी को ईमानदारी से जी जाए।”

धर्मेंद्र केवल एक फिल्म स्टार नहीं थे। वह भारतीय समाज के उस दौर की पहचान थे जहाँ सादगी ही आकर्षण थी और स्टाइल बिना किसी दिखावे के भी दिल जीत लेती थी।

आज जब उनका चमकता सितारा अस्त हो गया है, तो लगता है कि हिंदी सिनेमा का एक सशक्त स्तंभ ढह गया, लेकिन उससे उठी धूल में उनकी यादें, उनके संवाद, उनके किरदार हमेशा चमकते रहेंगे।

आखिर में…धर्मेंद्र जी,
आप केवल फिल्मों में नहीं रहे। आपने पीढ़ियों की भावनाओं में अपनी जगह बनाई। आप एक कलाकार नहीं एक युग, एक एहसास, एक अमिट स्मृति बन चुके हैं। आप हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे। एक लेजेंड की तरह, एक हीरो की तरह, एक इंसान की तरह।

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