हिम्मत की जीत
छोटे से गाँव भदावनपुर में अमन नाम का एक होशियार लड़का रहता था। वह पढ़ने में बहुत अच्छा था, लेकिन परीक्षाएँ नज़दीक आते ही उसके पेट में घबराहट से तितलियाँ उड़ने लगती थीं। परीक्षा की तिथि घोषित होते ही उसका आत्मविश्वास जैसे हवा हो जाता, और वह हर समय चिंता में डूबा रहता।
उस साल अमन की सबसे बड़ी परीक्षा गणित की थी। गणित उसका पसंदीदा विषय था, फिर भी उसे लगता था कि वह सब कुछ भूल जाएगा। एक शाम अमन उदास होकर गणित की किताब देख रहा था। उसके दादाजी, जो रिटायर्ड शिक्षक थे, पास ही बैठे थे। दादाजी ने प्यार से पूछा, “क्या हुआ मेरे शेर? इतना उदास क्यों है?” अमन ने भारी मन से कहा, “दादाजी, मुझे परीक्षा से बहुत डर लग रहा है। लगता है मैं फ़ेल हो जाऊँगा, सब भूल जाऊँगा और परिवार के सब लोग निराश हो जाएँगे।”
दादाजी मुस्कुराए और उसे अपने पास बिठाया। उन्होंने किताब की ओर इशारा करते हुए कहा, “अमन, ज़रा इस किताब को देखो। तुमने इसे कितनी बार पढ़ा है? इसके सवाल कितनी बार हल किए हैं?” अमन बोला, “कई बार, दादाजी।” “बस! तो फिर डर किस बात का?” दादाजी ने कहा। “परीक्षा कागज़ का एक टुकड़ा नहीं, बल्कि तुम्हारी मेहनत का आइना है। यह सिर्फ यह देखने का तरीका है कि तुमने अपना समय कितना सही उपयोग किया है।”
फिर दादाजी ने एक पुरानी घटना सुनाई, “मैं जब तुम्हारी उम्र का था, तब मुझे भी परीक्षा से बहुत डर लगता था। एक बार मेरे शिक्षक ने मुझसे कहा था, ‘‘घबराओ मत, तैयारी करो। डर एक परछाई की तरह है, जितना भागोगे, वह उतनी बड़ी होती जाएगी। लेकिन अगर अपने काम पर ध्यान दोगे तो डर अपने आप छोटा हो जाएगा। याद रखो…सबसे ज़रूरी यह नहीं है कि तुम कितने नंबर लाते हो, बल्कि यह ज़रूरी है कि तुमने इस सफ़र में क्या सीखा है। असली सफलता सीखने की प्रक्रिया में है, परिणाम में नहीं।”
दादाजी की बातें सुनकर अमन की आँखें खुल गईं। उसे समझ आ गया कि उसका डर तैयारी की कमी से नहीं, बल्कि रिज़ल्ट के बारे में ज़रूरत से ज़्यादा सोचने से पैदा हो रहा था। उस दिन के बाद अमन ने अपनी रणनीति बदल दी। उसने घबराना छोड़ दिया और पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगाया। जब भी चिंता आती, वह दादाजी के शब्द याद करता…“परीक्षा कागज़ का एक टुकड़ा नहीं, बल्कि तुम्हारी मेहनत का आईना है।”
परीक्षा का दिन आया। अमन आत्मविश्वास से भरा हुआ था। उसने सवाल ध्यान से पढ़े और शांत मन से लिखे। रिज़ल्ट आया तो उसने गणित ही नहीं, बल्कि सभी विषयों में उत्कृष्ट अंक प्राप्त किए। अमन ने दादाजी को धन्यवाद कहा। दादाजी ने उसे गले लगाते हुए कहा, “डर पर जीत पाने का एक ही तरीका है, उसका सामना करो और अपनी मेहनत पर विश्वास रखो।”
सीख (Moral of the Story):
परीक्षा से घबराना व्यर्थ है। अपनी तैयारी और मेहनत पर विश्वास रखें। परीक्षा सिर्फ एक मूल्यांकन है, जो यह बताता है कि आपने अब तक क्या सीखा है। परिणाम कुछ भी हो, सीखने की यात्रा ही सबसे महत्वपूर्ण है।