दस्तावेजों पर मत लिखें जातिसूचक शब्द : डॉ. सुनील सावन
सावन साहित्य सेवा सदन का समाज सुधारक पहल
समाजसेवी साहित्यकार एवं शिक्षक डॉ. सुनील सावन ने उत्तर प्रदेश सरकार के आईजीआरएस पोर्टल पर समाज सुधारक सुझाव पंजीकृत करते हुए चिन्ता व्यक्त की कि वर्तमान में जातिवाद मानव जीवन के लिए सबसे गंभीर खतरा है। बार-बार लिखने से शब्द-शक्ति बलवती होती जाती है। इसीलिए जातिसूचक शब्द लिखने से बचना चाहिए। जातिसूचक शब्द लिखने का तात्पर्य है जातिवाद को बढ़ावा देना, जो एक सभ्य समाज के लिए शोभनीय नहीं है। माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद ने वाहनों पर जाति सूचक शब्द लिखने पर प्रतिबंध लगाया है तथा पुलिस विभाग को भी गिरफ्तारी, एफआईआर इत्यादि की कार्रवाई में जाति सूचक शब्द नहीं लिखने का निर्देश दिया है। इस ऐतिहासिक फैसले का हम सब स्वागत करते हैं, सराहना करते हैं। अब जातिगत सम्मेलनों का आयोजन भी गैरकानूनी है। इस लोकहितैषी एवं समाज सुधारक पहल को जमीनी स्तर पर उतारने में उत्तर प्रदेश सरकार की भी महती भूमिका रही है।
कवि सावन ने कहा कि विश्वबंधुत्व, राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता एवं लोक कल्याण की दृष्टि से जाति सूचक शब्द का प्रयोग शुभ नहीं है। इसीलिए अपने नाम के साथ जाति सूचक शब्द का प्रयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए। एक रहें, नेक रहें। समाज को जाति व्यवस्था की जंजीर से मुक्त करने के लिए सर्वप्रथम जन्म प्रमाण पत्र में जाति सूचक शब्द लिखने पर प्रतिबंध लगाना होगा। जन्म प्रमाण पत्र से ही जाति सूचक शब्द का जन्म होता है। जिस प्रकार खसरा-खतौनी में जाति सूचक शब्दों का प्रयोग नहीं होता है वैसे ही आधार कार्ड, निर्वाचन कार्ड, मतदाता सूची, पैन कार्ड, राशन कार्ड, लाइसेंस, आय प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, उपस्थिति-पंजिका इत्यादि सरकारी एवं गैर-सरकारी दस्तावेजों पर भी जाति सूचक शब्द के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाना अनिवार्य है ताकि समाज में विश्व बंधुत्व, राष्ट्रीय एकता एवं सामाजिक समरसता की सरिता प्रवाहित हो सके। हमारी एक ही जाति है- मानव, और एक ही धर्म है- मानवता। इसी में समझदारी है, बाकी सब दुनियादारी है।
सावन साहित्य सेवा सदन, अटल नगर (अमवा बाजार), रामकोला, कुशीनगर, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष डॉ. सुनील सावन ने कहा कि सरकारी एवं गैर-सरकारी कर्मचारियों एवं पदाधिकारीगण के नाम के साथ जाति सूचक शब्द का प्रयोग उचित नहीं है। इससे समाज में भेद-भाव का माहौल उत्पन्न होता है जिससे कल्याणकारी सेवाएं प्रभावित होती हैं। अतः सरकारी एवं गैर-सरकारी कर्मचारियों को भी निर्देशित करें कि वह अपने नाम के साथ जाति सूचक शब्द ना लिखें।
डॉ. सुनील सावन ने सरकार से आग्रह किया कि राष्ट्रीय एकता एवं सामाजिक समरसता को ध्यान में रखते हुए जनहित हेतु उपरोक्त सरकारी एवं गैर सरकारी दस्तावेजों में जाति सूचक शब्द लिखने पर प्रतिबंध लगाने की कृपा करें।
लोगों ने सावन साहित्य सेवा सदन के इस समाज सुधारक पहल की सराहना की।