अलविदा धर्मेंद्र
सिने जगत का बड़ा सितारा,
करतब खूब दिखाता था।
अपनी प्रतिभा के बूते पर,
सबके मन को भाता था।
सीधे आंगन में भी करता,
नर्तन टेढ़ा मेढ़ा।
कभी हंसाया कभी रुलाया,
करता कभी बखेड़ा।
अच्छा इंसा उम्दा नायक,
प्यार भरा था अंदर।
बूढ़े बच्चे युवा स्त्री,
सबका था धर्मेंदर।
सदा बहारी हर फन मौला,
यमला पगला दीवाना।
देखो उठकर चला गया वह,
करके मौत बहाना।