Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
20 Nov 2025 · 1 min read

*मैं वंदे भारत को गाता, मन भारत अभिमानी हूॅं (हिंदी गजल)*

मैं वंदे भारत को गाता, मन भारत अभिमानी हूॅं (हिंदी गजल)
_________________________
1)
मैं वंदे भारत को गाता, मन भारत अभिमानी हूॅं
भागीरथ गंगा जो लाए, मैं बहता वह पानी हूॅं
2)
आदिकाल से ही वेदों ने, जिसका महिमा-गान किया
छह ऋतुओं से भरी अनोखी, मैं वह एक कहानी हूॅं
3)
मैं रसखान-कबीर हृदय से, मस्ती भीतर छाई है
भक्ति-भाव में डूबी हरदम, मैं मीरा दीवानी हूॅं
4)
राम-कृष्ण की धरती है यह, गुरु गोविंद यहॉं जन्में
वीर-भाव का पोषण करती, मैं अनवरत जवानी हूॅं
5)
नदी पेड़ पर्वत झरने सब, मेरे ही भीतर रहते
मैं जीवन का अर्थ खोजता, परम-तत्व विज्ञानी हूॅं
_________________________
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

Loading...