देव उदित आकाश में, करते ऊर्जा दान।
देव उदित आकाश में, करते ऊर्जा दान।
जिनके कारण जगत में, जीव जंतु का मान।।
वंदन करिए नित्य ही, उदित देव आकाश।
कष्ट हरण तन का करें, देते सदा प्रकाश।।
देव रूप आदित्य हैं, जगत हितैषी जान।
जीवन वाहक है यही, प्रकट एक भगवान।।
सूर्य सदा ही समय का, देते सबको ज्ञान।
सदुपयोग जिसने किया, उसका हो गुणगान।।
नमस्कार कर सूर्य का, निज श्रम का रख ध्यान।
“पाठक” करता कर्म नित, पाए सुखद विहान।।
:- राम किशोर पाठक (शिक्षक/कवि)