सह लेने
गीतिका
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सह लेने तूफानों के सब, वार हमें।
हर हालत में जाना है उस, पार हमें।
खतरा सीमाओं पर देखो, खूब बढ़ा।
नित्य जाँचनी है शस्त्रों की, धार हमें।
भोर समय की शुभ वेला में, खूब खिले।
फूलों के सँग भी हैं मिलते, खार हमें।
कर्म और फल का देती है, ज्ञान सदा।
गीता से मिलता जीवन का, सार हमें।
भूले भटके बहुत दिनों के, बाद कहीं।
कभी कभी बिछड़े मिल जाते, यार हमें।
कभी सुखद स्थितियों में जीवन, बीत रहा।
पड़ जाता है कभी उठाना, भार हमें।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य